जीवन कितना कठिन हो गया है !आज अपने अपनों के खून के प्यासे हो गये है। इंसानों को इंसानियत की भाषा अब समझ में नही आती। वो एक दुसरे को नुक्सान पंहुचा के सिर्फ़ और सिर्फ़ आगे बढ़ना चाहते है। उन्हें इस बात की परवाह नही की आगे बढ़ने की इस जंग में कही वो एकदम अकेले हो जायेंगे।
जानवर तक प्रेम की भाषा समझते है। एक मगरमच्छ जिसके इतने बडे बडे दांत इतना बडा मुह चाहे तो हाथी तक को ना छोडे। लेकिन जब वही अपने बच्चो को अपने उन्ही दांतों और मुह से उठाता है और उसे खरोच तक नही आती। अगर वो ऐसा कर सकता है तो इंसान क्यो नही।
बेटा बाप को मारता है और बाप बेटे को। सब एक दुसरे के खून के प्यासे है।
हे भगवन! आपकी बनाई दुनिया का क्या हाल हो गया है। काश! कही से कोई आशा की किरण नजर आ जाए।
सब प्रेम से मिलजुल कर रहे ।
ये बात हम आप सब को पता है, शायद बहुत छोटी बात है ये लेकिन आज की सबसे बडी समस्या भी यही है ,,,,,,,,,
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