Friday, March 27, 2009

महिलाओ की जगह समाज में कितनी अच्छी है!

पुरी दुनिया इसी बात पे जोर देती है की समाज में महिलाओ की स्तिथि अच्छी और सम्मान जनक होनी चाहिए। मगर कितने ऐसे है जो इस बात को गंभीरता से लेते हुए इस दिशा में सहयोग कर रहे है,शायद गिनती के ही लोग होंगे,कहने को तो समाज में महिलाओं की स्तिथि बहुत अच्छी है ,लेकिन आज भी उन्हें किसी काम को करने के लिए पुरषों से अनुमति लेनी पड़ती है ।
सभी के साथ यदि ऐसा नही होता तो इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता की समाज में एक तबका ऐसा भी है जहा ख़ुद पे निर्भर होने के बाद भी महिलाये ख़ुद को असुरछित ही महसूस करती है.यदि एक तरफ़ वो सफलता के झंडे फहरा रही है तो दूसरी तरफ़ वो ही अपनी बंदिशों पे आशु भी बहा रही है ,इसे क्या कहेंगे....?
आज पुरूष प्रधान क्षेत्र में भी महिलाओं ने अपनी सफलता साबित की है..लेकिन अपने ही घर में उन्हें अपमानित होना पड़ता है॥!
सभी उनकी काबिलियत को मानते है फ़िर भी कही न कही कोई ऐसी बात है जो उन्हें रोकती है जिसकी वजह से उन्हें पुरुषों से कमतर आँका जाता है ...जो किसी भी तरह से सही नही है ....
हम एक ऐसे देश में है जहा देशके दो बड़े पदों पर महिलाओं का ही वर्चश्व है ....उस देश में महिलाओ के एक तबके से ऐसा बर्ताव.....?यकीं नही होता......
इसे बदलना होगा ,और शायद इसके लिए महिला ही सबसे पहले aage aayengi....
aisi meri aasha hai....

चुनावी घमासान

आम तौर पर मैं रेल से सफर नही करती लेकिन आज जब रेलवे स्टेशन गयी तो मुझे लगा हमेशा की तरह इस बार भी इंतजार करना होगा.लेकिन यह क्या ? यह तो ट्रेन अपने नियत समय पर ही थी मुझे आश्चर्य हुआ पता किया तो मालूम हुआ की चुनाव के कारन माननीय लालू यादव जी ने सभी ट्रेने अपने अपने नियत समय पर ही चलने का आदेश दिया है ? मुझे थोडी खुशी हुई तो थोडी निराशा भी हुई !


खुशी इसलिए की इन्तजार नही करना पडेगा और निराशा हुई क्योकि बडी ही अजीब बात है की चुनाव आया तो सभी ट्रेने समय से चलने लगी।ऐसे तो सभी को कितना इन्तेजार करना पड़ता था॥


अगर ये काम लालू जी चाहिए उन्ही वो ही तो वोट देते kar sakte hai

to kya ye hr samay ke liye nhi kiya ja sakta.


aakhir is tarah se janta ke sath nhi karna chahiye...wo hi to vote dete है॥

इस बात को समझाना चाहिए.जनता को भी और उन्हें भी जो हर ५ साल बाद वोट मांगने आ जाते है..