Monday, February 1, 2010
कम होते बाघ
आज कई ऐसी चीजे है जिन्हें हम सिर्फ किताबो के द्वारा ही जानते है.कम से कम हम इन बाघों के साथ तो ऐसा न होने दे...मै सबसे कहना चाहूंगी की कृपया आप भी ऐसी अपील करे,और बाघों को बचाने में सहयोग दे।
धन्यवाद.
Tuesday, September 29, 2009
जीवन कितना कठिन हो गया है !आज अपने अपनों के खून के प्यासे हो गये है। इंसानों को इंसानियत की भाषा अब समझ में नही आती। वो एक दुसरे को नुक्सान पंहुचा के सिर्फ़ और सिर्फ़ आगे बढ़ना चाहते है। उन्हें इस बात की परवाह नही की आगे बढ़ने की इस जंग में कही वो एकदम अकेले हो जायेंगे।
जानवर तक प्रेम की भाषा समझते है। एक मगरमच्छ जिसके इतने बडे बडे दांत इतना बडा मुह चाहे तो हाथी तक को ना छोडे। लेकिन जब वही अपने बच्चो को अपने उन्ही दांतों और मुह से उठाता है और उसे खरोच तक नही आती। अगर वो ऐसा कर सकता है तो इंसान क्यो नही।
बेटा बाप को मारता है और बाप बेटे को। सब एक दुसरे के खून के प्यासे है।
हे भगवन! आपकी बनाई दुनिया का क्या हाल हो गया है। काश! कही से कोई आशा की किरण नजर आ जाए।
सब प्रेम से मिलजुल कर रहे ।
ये बात हम आप सब को पता है, शायद बहुत छोटी बात है ये लेकिन आज की सबसे बडी समस्या भी यही है ,,,,,,,,,
Wednesday, June 24, 2009
भारतीय राजनीती
ऐसे युवा कम नही है जो राजनीति में आने को बुरा मानते है और कहते है की राजनीति आज बहुत गन्दी हो चुकी है...पर शायद वो ये नही जानते की गन्दगी को साफ़ करने के लिए जरुरी है की गंदगी में उतरा जाए...उम्मीद है आज के युवा अपनी सोच से कुछ ऊपर उठ कर देश के हित के बारे में सोचेंगे..और देश का उद्धार करने हेतु कृष्ण बन कर आगे आयेंगे.अगर कुछ ग़लत कहा हो तो कृपया क्षमा करे...
मेरी शुभकामनाये उन सभी युवाओं के साथ है...
Friday, March 27, 2009
महिलाओ की जगह समाज में कितनी अच्छी है!
सभी के साथ यदि ऐसा नही होता तो इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता की समाज में एक तबका ऐसा भी है जहा ख़ुद पे निर्भर होने के बाद भी महिलाये ख़ुद को असुरछित ही महसूस करती है.यदि एक तरफ़ वो सफलता के झंडे फहरा रही है तो दूसरी तरफ़ वो ही अपनी बंदिशों पे आशु भी बहा रही है ,इसे क्या कहेंगे....?
आज पुरूष प्रधान क्षेत्र में भी महिलाओं ने अपनी सफलता साबित की है..लेकिन अपने ही घर में उन्हें अपमानित होना पड़ता है॥!
सभी उनकी काबिलियत को मानते है फ़िर भी कही न कही कोई ऐसी बात है जो उन्हें रोकती है जिसकी वजह से उन्हें पुरुषों से कमतर आँका जाता है ...जो किसी भी तरह से सही नही है ....
हम एक ऐसे देश में है जहा देशके दो बड़े पदों पर महिलाओं का ही वर्चश्व है ....उस देश में महिलाओ के एक तबके से ऐसा बर्ताव.....?यकीं नही होता......
इसे बदलना होगा ,और शायद इसके लिए महिला ही सबसे पहले aage aayengi....
aisi meri aasha hai....
चुनावी घमासान
खुशी इसलिए की इन्तजार नही करना पडेगा और निराशा हुई क्योकि बडी ही अजीब बात है की चुनाव आया तो सभी ट्रेने समय से चलने लगी।ऐसे तो सभी को कितना इन्तेजार करना पड़ता था॥
अगर ये काम लालू जी चाहिए उन्ही वो ही तो वोट देते kar sakte hai
to kya ye hr samay ke liye nhi kiya ja sakta.
aakhir is tarah se janta ke sath nhi karna chahiye...wo hi to vote dete है॥
इस बात को समझाना चाहिए.जनता को भी और उन्हें भी जो हर ५ साल बाद वोट मांगने आ जाते है..